A For Aeroplane


बचपन
दुनिया से बेखबर, अपने ही जहाँ मे रमता सा बचपन
खेलता, दौडता, गिरता,संभलता सा बचपन
और इस बचपन को जिंदा रखते कुछ जिंदादिल सपने

हां सपने,
ढेर सारे, छोटे-बडे, हलके-फुलके,
किसी की उडान उँची तो कई बिखरे पडे
कुछ टुकडे यहाँ, कुछ पन्ने वहाँ
इधर उधर, चौरस की गोटीयो जैसे,
मेरे भी कुछ सपने, मेरे अपने
रंगहीन, बिना आवाज के,
ना कोई आकार,ना कोई पहराव,
मेरे ही जैसे, किसी को नजर ना आनेवाले,
बस,मुझसे बतियाने वाले
भोले से, शरारती,मासुम...बिल्कुल बचपन जैसे

सपने, कुछ बर्फी की मिठास से मिठे,
काँच के पिछे दुबके, मुझे टिक-टिक आँखो से देखते,
मेरी ललचाई आँखो से दुर, बस हसरत बनकर रह जानेवाले

सपने कुछ रेल की पटरीयो जैसे,
सीधे-सिधे, कही ले जा रहे है शायद
डगमग-डगमग कदमो से,

कुछ सपने आढे-तिरछे, अडीग,अमीड,
मेरे हाँथ की लकीरो से मिलते
मानो उन्ही मे छिपे हो कही

उम्मीदो का सुरज ढल जाने पे,मेरे अँधियारो को रोशन करते
टिमटिमाते से, रंगीन सपने,
किस्मत की ये काली गुँफाए,बाहे फैलाये
सन्नाटे से भरी,अनंत तक जाती, तन्हा होने का ऐहसास दिलाती
लेकिन इन गहराहीयो मे भी, रास्ता दिखाते,
जुगनू से जगमगाते,मेरे सपने

खव्वाहीशो के पंँछियो को तान देते,
मेरी उडानो को नया आँसमा देते,
थकी हारी मेरी उम्मीदो को, प्यार की थपकी देकर सुलाते
मेरे सपने

सडक के किसी मोड पर टकरा जाते हैं कभी
अचानक ही,
अजनबी से लगते

दुनिया की इस भीड मे,अकेले
खोये-खोये से,अपनी पहचान ढुँढते
मेरे सपने
मानो कह रहे हो मुझसे,
थोडी हिम्मत तो दिखा,एक कदम तो उठा,
गहरी साँस ले और एक डुबकी लगा
शायद किनारे नजर आ जाँए...

सितारो से आगे बस वही निकलते है
जिनके सपनो मे हौंसलो की उडान होती हैं
कुछ लम्हे बीते तो क्या हुआ,
कुछ राते ढली तो क्या हुआ,

हर तुफान के बाद नन्हे सुरज निकल ही आते हैं,
क्योकी कुछ सपने ऐसे ही होते है...

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